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ग्रामीण भारत में आशा और आजीविका की डोर

प्रेरणा अग्रवाल

संस्थापक, समाख्या सस्टेनेबल अल्टरनेटिव्स, बीकानेर, राजस्थान

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भारत की राजधानी दिल्ली में जन्मी और पली-बढ़ी, मेरी ज़िंदगी हमेशा एक मध्यमवर्गीय परिवार की रंगीनियों से घिरी रही। मेरे पिता, जो एक कलाकार से प्रिंटिंग व्यवसायी बने, और मेरी माँ, जो गृहणी होने के साथ-साथ योग शिक्षिका भी हैं, उन्होंने मेरे भीतर रचनात्मकता और संचार के प्रति प्रेम को पोषित किया। उन्होंने मुझे इन रुचियों को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। अपने सपनों का पीछा करते हुए मैंने दिल्ली के जी.जी.एस.आई.पी. विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन की डिग्री और बाद में मुंबई के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से विज्ञापन और मार्केटिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।

छह से अधिक वर्षों तक मैंने दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई की विज्ञापन दुनिया में सफलता पाई। लेकिन इस सफलता की सतह के नीचे एक सवाल लगातार मुझे कचोटता रहा—“मैं असल में क्या असर डाल रही हूँ और मेरे जीवन का असली उद्देश्य क्या है?” कॉर्पोरेट दुनिया, अपनी प्रक्रियाओं और सीमाओं के साथ, सच्ची रचनात्मकता या सार्थक काम के लिए बहुत कम जगह छोड़ती थी। फिर एक दिन मैंने तय किया कि अपने सुरक्षित दायरे से बाहर निकलूँ और ऐसा उद्देश्य खोजूँ जो मेरी मन से मेल खाए ।

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समाख्या संग ग्रामीण हार्टलैंड की ओर एक साहसिक कदम

मेरी यात्रा ने तब अप्रत्याशित मोड़ लिया जब मेरी मुलाक़ात उर्मूल से हुई—राजस्थान का एक स्वयंसेवी संगठन जो शिल्पकारों के साथ काम करता है। बिना किसी झिझक के मैंने शहर की ज़िंदगी छोड़ दी और राजस्थान के एक गाँव में आ बसी। यह केवल स्थान परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक नई दुनिया में छलांग थी, जिसने मेरी दृष्टि हमेशा के लिए बदल दी।

आठ वर्षों तक ग्रामीण जीवन में रचने-बसने और शिल्पकारों की गहरी जड़ें जमाए चुनौतियों को समझने के बाद, मैंने समाख्या सस्टेनेबल अल्टरनेटिव्स की स्थापना की। ‘समाख्या’ का अर्थ है, “एक ऐसा समूह जहाँ सभी समान हों,” और यह हमारे उस उद्देश्य का प्रतीक है जिसमें हम ग्रामीण समुदायों, प्राकृतिक रेशों और पारंपरिक शिल्पों को एक साथ लाकर बाज़ार के लिए टिकाऊ विकल्प तैयार करते हैं। समाख्या स्थानीय ऊन को रूपांतरित कर ऐसे इन्सुलेशन में बदलती है जो घरों को ठंडा, शांत और किफ़ायती बनाता है, जिससे ऊर्जा की खपत और ध्वनि प्रदूषण कम होता है। हम विशेष रूप से हाशिए पर रह रहे चरवाहा समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उनके प्राकृतिक रेशों के लिए आय के अवसर पैदा करते हैं, भारत में अपनी तरह की यह पहली पहल है।

वॉलमार्ट वृद्धि के साथ सीखने की यात्रा

2023 में वॉलमार्ट वृद्धि कार्यक्रम से जुड़ना समाख्या के लिए एक अहम मोड़ साबित हुआ। हमें मिली मेंटरशिप केवल व्यापार रणनीतियों तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह एक समग्र सीखने का अनुभव था। इसने मुझे अपनी पूरी टीम को प्रशिक्षित करने में सक्षम बनाया, जिनमें से अधिकतर के पास व्यवसाय संचालन की बारीकियों की केवल बुनियादी समझ थी।

सबसे मूल्यवान सीखों में से एक यह थी कि ग्रामीण और शिल्पकारी आपूर्ति श्रृंखला में संरचना कैसे स्थापित की जाए। हमने अपनी टीम को उत्पादन प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षित किया और बाद में ध्यान बिक्री-केन्द्रित रणनीतियों पर लगाया। मेरे मेंटर, जिनकी पृष्ठभूमि भी विज्ञापन से जुड़ी थी, ने हमारे ब्रांड की कहानी और उसकी पहचान गढ़ने में अहम भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के दौरान एक अहम समझ यह रही कि ग्रामीण और शिल्पकारी मूल्य श्रृंखलाओं में दृश्यता और उपलब्धता कितनी महत्वपूर्ण है। शहरी व्यवसायों के विपरीत, यहाँ चुनौतियाँ गहरी और अक्सर छिपी हुई थीं। हमने अपनी आपूर्ति श्रृंखला को मज़बूत करने और ऐसे तंत्र और संरचनाएँ बनाने पर काम किया जो हमारे बिखरे हुए संचालन का सहारा बन सकें। इसका अर्थ था दूर-दराज़ गाँवों के कारीगरों तक पहुँचना, गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करना और उनके लिए एक सीखने का वातावरण तैयार करना।

हमारी कुल आय ₹2.5 लाख (2022–23) से बढ़कर ₹86 लाख (2023–24) हो गई और पिछले वर्ष में हमारी ऑनलाइन बिक्री तीन गुना बढ़ी है। आज हम राजस्थान के 75 गाँवों में 2,500 महिला शिल्पकारों और 500 पशुपालकों के साथ काम कर रहे हैं।

भविष्य की दिशा और विकास

वॉलमार्ट वृद्धि कार्यक्रम ने हमें ई-कॉमर्स के कानूनी और संरचनात्मक पहलुओं की समझ दी, जिससे हम चुनौतियों को पार कर सके और अपने उत्पादों को फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर लॉन्च करने के लिए तैयार हुए। शून्य से लेकर उल्लेखनीय बिक्री आँकड़ों तक की यह यात्रा हमारे विकास को गति देने में इस कार्यक्रम की प्रभावशीलता का प्रमाण है।

2024 में समाख्या ने एक अहम उपलब्धि हासिल की—नेपाल को अपना पहला अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर भेजकर। अब हमारी टीम अन्य अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में अवसर तलाशने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है। हमारा मुख्य ध्यान समाख्या की पहुँच को बढ़ाने पर है। वर्तमान में हमारी तात्कालिक योजनाएँ भारत में अपनी बिक्री चैनलों और प्रक्रियाओं को मज़बूत करने पर केंद्रित हैं। हम अधिक बी2बी ख़रीदारों और निर्यात व्यवसायों से जुड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं, विशेषकर शिल्पकारी और हरित भवन उत्पादों के क्षेत्र में। साथ ही हम अपनी ऑनलाइन उपस्थिति को भी मज़बूत कर रहे हैं, अपने स्वयं के वेबसाइट के माध्यम से और विभिन्न मार्केट एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध रहकर।

आगे की राह

आज, समर्पित व्यक्तियों की टीम और 3,000 से अधिक शिल्पकारों व पशुपालकों के नेटवर्क के साथ, समाख्या सामाजिक उद्यमिता की शक्ति का सजीव उदाहरण है। हम केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक सामूहिक प्रयास हैं जो सपने देखने और हमारे साथ जुड़े लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।

जब मैं इस यात्रा पर नज़र डालती हूँ, तो हर चुनौती और हर सीख के लिए कृतज्ञता से भर जाती हूँ, जिन्होंने मिलकर समाख्या को आज इस मुक़ाम तक पहुँचाया है। हमारी आगे की राह आशाओं से भरी है—भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहुँच बढ़ाने, निरंतर नवाचार करने और ऐसे सतत विकल्प बनाने की, जो वास्तव में बदलाव ला सकें।

अंततः महत्व केवल उन उत्पादों का नहीं है जिन्हें हम बनाते हैं या उस लाभ का नहीं है जो हम कमाते हैं। असली मायने उन ज़िंदगियों के हैं जिन्हें हम छूते हैं, उन समुदायों के हैं जिन्हें हम सशक्त करते हैं और उस सतत भविष्य के हैं जिसे हम गढ़ रहे हैं, एक-एक शिल्पकार और एक-एक रेशा जोड़कर।

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