1996 में, जब मैं महार्षि विश्वविद्यालय से एमबीए कर रही थी, तब मेरी मुलाकात अपनी बिज़नेस पार्टनर से हुई। हमारी क्लास में हम सिर्फ दो ही महिलाएँ थीं, और हम अक्सर साथ मिलकर कुछ सार्थक शुरू करने का सपना देखा करती थीं। डिग्री पूरी होने के बाद हमारी ज़िंदगियाँ अलग दिशाओं में आगे बढ़ गईं। मैंने टेलीकॉम सेक्टर में करियर बनाया और परिवार में व्यस्त हो गई, जबकि वह अपने सपनों को पूरा करने में लगातार आगे बढ़ती रही। 2016 में जब हम फिर से मिलीं, तब हमें एहसास हुआ कि वक्त बदल चुका है और अब मिलकर कुछ बड़ा और सार्थक करने का बिल्कुल सही समय है।
आंध्र प्रदेश से हमारे जुड़ाव को देखते हुए, हमें केले के रेशे में बड़ी संभावना दिखी, यह एक स्थानीय कृषि उप-उत्पाद है जिसे आमतौर पर बेकार समझकर जला दिया जाता है। इसी से प्रेरित होकर हमने इसे उपयोग में लाकर पर्यावरण के अनुकूल सैनिटरी नैपकिन बनाने का निर्णय लिया, ताकि महिलाओं और पर्यावरण, दोनों के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध हो सके।
हमने अपनी बचत लगाकर पूरे भारत में यात्रा की, जहाँ हमने सामग्री, तकनीक और निर्माण प्रक्रियाओं पर गहराई से शोध किया।
हमारी मेहनत रंग लाई। हमने एक सुरक्षित और किफ़ायती प्रोटोटाइप तैयार किया, और स्कूलों-कॉलेजों में प्लास्टिक सैनिटरी नैपकिन के विकल्पों पर जागरूकता अभियान चलाने के बाद, 2019 में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। महिलाओं को अपनी सप्लाई चेन से जोड़कर और स्वयं सहायता समूहों व किसानों के साथ मिलकर काम करके, हमने सुनिश्चित किया कि हमारा यह प्रयास पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के लिए भी लाभदायक बने।
ऑनलाइन मौजूदगी बढ़ाने की ज़रूरत को समझते हुए, मैंने 2020 में वॉलमार्ट वृद्धि कार्यक्रम से जुड़ने का फैसला किया। यह अनुभव मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसने मुझे डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और हमारे कामकाज को बेहतर ढंग से चलाने जैसी व्यावहारिक कौशल सिखाए। कार्यक्रम से मिली मदद और मार्गदर्शन की बदौलत, हमने फ़्लिपकार्ट पर पंजीकरण किया और कई डिजिटल चैनलों पर अपने उत्पादों का विस्तार किया। इसके परिणामस्वरूप, हमारी आय 2020 में 3 लाख रुपये से बढ़कर 2025 में 35 लाख रुपये तक पहुँच गई। ई-कॉमर्स की शक्ति का उपयोग करते हुए हमारा विस्तार लगातार बढ़ रहा है।
हमारे काम को कई संस्थाओं और तेलंगाना सरकार से सराहना मिली है, जिससे ग्रामीण महिलाओं को अपने स्वयं के उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने में सहायता करने के नए अवसर खुले हैं। आज हम झारखंड के कई ज़िलों में काम कर रहे हैं और शैक्षणिक संस्थानों तथा स्थानीय संगठनों के साथ साझेदारी करके अपने काम का दायरा और बढ़ा रहे हैं।
मेरा अगला लक्ष्य एक इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित करना है, जहाँ मैं पूरे भारत की महिला उद्यमियों को मार्गदर्शन दे सकूँ। इसके साथ ही, मैं अपना चार्टर्ड अकाउंटेंसी का सपना भी पूरा करना चाहती हूँ, जो लंबे समय से मेरी इच्छा रही है। हमारी यह पूरी यात्रा दिखाती है कि सही सोच, निरंतर समर्पण और उचित समर्थन मिल जाए तो ऐसा व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है जो लोगों और पर्यावरण, दोनों के लिए सार्थक बदलाव ला सके।